स्प्रॉउटिंग ब्रोकोली (हरा गोभी) की खेती कैसे करें Sprouting broccoli (Green Cauliflower) Cultivation in Hindi

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स्प्रॉउटिंग ब्रोकोली के बारे में सामान्य जानकारी– ब्रोकोली इटैलियन शब्द हैं, जो लैटिन ब्रान्चियम (branchium) आया हुआ है | जिसका अर्थ आर्म (arm) या शाखा (branch) से होता हैं |

स्प्रॉउटिंग ब्रोकोली में फूल गोभी के जैसे ही शीर्ष (कर्ड/हेड) बनते है परन्तु इसके पौधे उससे लंम्बे होते है और शीर्ष छोटे तथा हरे रंग के बनते है इस वज़ह से इसे हरा गोभी (GREEN CAULIFLOWER) कहते है|

ब्रोक्कोली के जिस भाग को खाने के लिए उपयोग में लाते है वह हरे रंग की छोटी – छोटी पुष्प कालिका का नर्म  गुच्छा होता है जिसको  विकसित होने अथवा खिलने से पहले ही काट लेते है |

ब्रोकोली के मुख्य शीर्ष को काटने के बाद भी छोटे – छोटे सहायक शीर्ष इसके तने पर पत्तियों के कक्ष से निकलते है जो मुख्य शीर्ष की अपेक्षा सख्त होते है

| इसके डंठल लम्बे व कोमल होते है इनको भी खाने के लिए उपयोग किया जाता है |

वानस्पतिक नाम (BOTANICAL NAME)brassica oleracea var. italica

कुल /परिवार (FAMILY )- brassicaceae

गुणसूत्र संख्या (CHROMOSOME NO.)-2 n = 18

benefits of sprouting broccoli in hindi

पोषकीय महत्व (nutrient value)– ब्रोकोली के मुख्य तथा सहायक शीर्ष दोनों को सब्जी के लिए उपयोग किया जाता है|ब्रोकोली को पकाकर उबालकर तथा कच्चा खाया जा सकता है,उबालकरखानेके लिए उपयोग करने पर इसके पोषकतत्व की हानि कम होती है| इसकाऔषधीय महत्त्व फूल गोभी की अपेक्षा बहोत ज्यादा है|

स्प्रौटिंग ब्रोकोली में फूल गोभी की अपेक्षा 130 टाइम्सऔर पत्ता गोभी की अपेक्षा 22टाइम्स ज्यादा विटामिनAपाया जाता है|

ब्रोकोलीमेंएन्टी कैंसर प्रोपर्टी पाई जाती है

यह तव्चा से संबंधित रोगियों के लिए भी फायदेमंद है

इसमें विटामिन A बहोत अधिक मात्रा में पाया जाता है जो आखोंसे संबंधित रोग जैसे रतोंधी, मोतियाबिंद के खतरे को बहोत कम कर देता

है | तथा अस्थमा के रोगियों के लिए भी यह एक  उपयोगी सब्जी है|

ब्रोकोली के उन्नत खेती के लिए उपयुक्त जलवायुवमृदा (SUTABALE CLIMATE AND SOIL FOR BROCCOLI CULTIVON) – ब्रोकोलीशीतोष्ण, आद्र तथा नम जलवायु में सबसे अच्छा उत्पादन देता है | इसमेंपिछेतीकिस्मोपाला सहन करने की विशेष शक्ति होति है जबकि अगेती में नहीं| पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए 18-20डिग्री सेल्सियस तथा अच्छे शीर्ष बननेकेबाद उसके वजन में वृद्धिके लिए 12-18 *C तापमान की आवश्यकता होती है|

मृदा:- इसकी खेतीविभिन्न प्रकार की मृदा जिनमे फूल गोभी की खेती की जा सकती है उनमे की जा सकती है| परन्तु ब्रोकोली के लिए सबसे अच्छामृदा उपयुक्त जल निकास वाली  जीवांश पदार्थ युक्त बलुई दोमट मृदा को माना जाता है जिसकाph 6.5-7.0 होता है|

वानस्पतिकविवरण-

ब्रोकोलीमुख्य रूप से दो प्रकारके होते

है –

  1. हेडिंग ब्रोकली { heading broccoli } – ब्रोकली केइस समूह में फूल गोभी की तुलना में घने कसे हुए श्फेद शीर्ष बनते है |
  2. इस्फ्रावटिंग ब्रोकली { sprouting broccoli } – ब्रोकली के इस समूह में विभेदित गुच्छे में हरी पुष्प कलिका जो शीर्ष पर मोटी होति है | छोटी कक्षवाले शीर्ष/ स्प्रोउट, तने के पत्ती कक्ष से निकलते है |

 (और पढ़ें – ब्रुसेल्स स्प्राउट्स (Brussels sprouts) की खेती कैसे करे)

शीर्ष के रंग के आधार पर ब्रोकोली को दो भागो में बाटा गया है –

  1. हरी स्प्रोउटिंग ब्रोकोली –इसकेशीर्ष हरे रंग के होते है |
  2. बैगनीस्प्रोउटिंग ब्रोकोली –इसके फूल बैगनी रंग के होते है|

Sprouting Broccoli Farming Information in hindi

ब्रोकोली की उन्नत किस्मे / प्रजातिया:-

  1. अगेती किस्मे :- अगेती किस्मे मुख्य खेत में लगाने के 60-70 दिन में तैयार हो जाते है| इसकी अच्छी बढवारहेतुमध्यमठण्डक की आवश्यकताहोति है|किस्म के नामडी सिस्को, ग्रीन बड, स्पार्टन अली|

संकर किस्मे :-सदर्न,कोमैट,प्रीमियमक्राप,कलियर व् लेसर|

  1. मध्यम अवधि की किस्मे:- इसवर्ग की ब्रोकोली 100 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी प्रमुख किस्म ग्रीन स्प्रोउटिंगमीडियम (GREENSPROUTING MEDIUM)है|

संकर किस्मे:– कौर सायर, क्रुइजर,कौरोना |

  1. पछेती किस्मे :– पछेती किस्मे रोपाई के 120दिनों बाद तैयार होते है | ग्रीनस्प्रोउटिंग लेट (GREENSPROUTING LATE) इसकी मुख्य किस्म है |

संकर किस्मे:– लेट कौरोना, ग्रीन सर्फ़|

ब्रोकोली की प्रमुख किस्मे तथा विशेषता:

प्रमुखकिस्मो के नाम किस्मो की विशेषता
वालथन-29,ग्रीन माउंटेन, कोस्टल बटनिंग दैहिक विकार के लिए कम प्रभावित किस्म है | व अगेती तथा पछेती दोनों रूपों में लगाया जा सकता है |
पालम कंचन हरे रंग की शीर्ष, 140-145 दिन में तैयार होति है, औसत उपज 25-28 टन/हेक्टेयर|
पालमसमृधि (D.P.G.B.-1) हरा रंग, 80-90 दिन की फसल,शीर्ष का भार-300-400 ग्राम,येल्लो आई तथा ब्रेक्टिंग विकार के लिए प्रतिरोधी, औसतउपज-15-20 टन/हेक्टेयर|
पूसा ब्रोकोली -1(KTS-1) हल्का हरा रंग, शीर्ष का वजन 250-400 ग्राम, 85-95दिन का फसल |
पंजाब ब्रोकोली-1 65-80 दिन की फसल,उपज 7 टन |
लकी बैगनी रंग का शीर्ष, शीर्ष का वजन-800 ग्राम,65-70 दिन की फसल है |

(और पढ़ें – किसान कॉल सेण्टर न. Kisan Call Center No. – 1800-180-1551 के बारे में)

खेत की तैयारी-ब्रोकोलीके पौधों की जड़ो में अच्छे से वायु और रंधरावकास मिले इसके लिए खेत में पहली जुताई डिस्क हल सेउसकेबादकी जुताई कल्टीवेटर से कर के मिट्टी भुरभुरी बना लेते है| खेत से खरपतवार को निकाल कर पाटा  लगाकर उसके बाद पौध रोपड़ के लिए क्यारी बना लेना चाहिए|

ब्रोकोली के लिए पौधशाला में पौध तैयार करने का समय:- निचलेपहाड़ी भागो तथा उत्तर भारत के मैदानी भागो में पौध तैयार करने के लिए बीज की बोओई के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर का पहला सप्ताह होता है, लेकिन मध्य क्षेत्रऔरऊचें पहाड़ी क्षेत्र में बीज की बओई अक्टूबर के अंत में व मार्च-अप्रैल  में करते है | सामान्यतया ब्रोकोलीके बीज की बओई अक्टूबर-दिसम्बर तक किसी भी समय की जा सकती है | परन्तु ज्यादा देर से बओई करने पर शीर्ष की पैदावार और क्वालिटी में कमी आ जाती है |

पौधशाला हेतु बीज की मात्रा व बीज का उपचार:- एकहेक्टेयर भू- भाग के लिए 450 ग्राम बीज की मात्रा प्रयाप्त होता है | बीज का उपचार बाविस्टिन/थिरम/कैप्टानमें से किसी से भी 3.0 ग्राम प्रति किलो ग्राम की दर से उपचारित कर के बोना चाहिए|

ब्रोकोली के पौधे कैसे तैयार करें:- 5.0ग्राम बाविस्टिन, थिरम या कैप्टान से नर्सरी की भूमि जाहा बीज बोना है को उपचारित करते है | उसकेबादभूमि के सतह से उठी हुयी,1 मीटर चौड़ी व 3-4 मीटर लम्बी क्यारिय बना लेना चाहिए |क्यारी में 5सेन्टीमीटर की दुरी पर पतली-पतली लाइन बनाकर 2.0-3.0 सेन्टीमीटर की गहराई परबीज की बओई करनी चाहिए | प्रति एकक्यारीमें 20-25kg. अच्छी प्रकार से सड़ीहुयी गोबर की खाद,250.0 ग्रामSSP(सिंगल सुपर फास्फेट), इंडोफील एम-45- 15-20ग्राम तथा 15-20 ग्राम एल्ड्रीन/फालीडाल धूल कोखेत में डालकर पौधशाला तैयार करते है | बीजबोने के बाद बीज को ढकने के लिए अच्छे से सड़ी हुयी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करना चाहिए | चूँकि जब पौधा तैयार किया जाता है उस समय बरसात की सम्भावनाज्यादा होति है इसलिएबीजो को वर्षा के सीधे संपर्क में आने से रोकने के लिए क्यारियो को सुखी घासों या खरपतवार से ढका जाता है | जब बीज में अंकुरण आ जाये तब खरपतवारों की पर्त को हटा देना चाहिए | 25-28 दिनों में पौधे मुख्य खेत में रोपण के लिए तैयार हो जाती है |

ब्रोकोली की पौधों की रोपण कैसे करे:- ब्रोकोली की रोपण भूमि की उर्वरता, प्रकार तथाजलवायु के अनुसार अलग-अलग होता है, परन्तुसामान्य रूप से पौधे से पौधे की और कतार से कतार की दुरी 45.0*45.0 या 50*50 सेन्टीमीटर\ रखना चाहिए | कुछ स्थानों पर 60*45 सेन्टीमीटर भी रखा जाता है| पौधों को अधिक नजदीक रोपने पर शीर्ष छोटे हो जाते है | पौधरोपण सायंकाल में करना चाहिए, परन्तु बदली की अवस्था में पुरे दिन रोपण का कार्य किया जा सकता है |

(और पढ़ें – मधुमक्खी पालन कैसे करें madhumakhi palan kaise kare )

पोषक तत्वप्रबंध:- ब्रोकली के सफल व अच्छे उत्पादन हेतु कार्बनिक खादों में कम्पोस्ट खाद को 10.0 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के समय खेत में एक समानरूप से मिला देना चाहिए|

रासायनिक उर्वरक:-  प्रति हेक्टेयर की दर से,

 नाइट्रोजन-  100 kg

 फास्फोरस-  60 kg

पोटाश-    80 kgदेनाउपुक्त रहता है| इनमे नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस व पोटास की पूरी मात्रा रोपाई के पहले खेत में देना चाहिए | नाइट्रोजन की बाकि बची हुयी मात्रा को दो और बार में दिया जाता है जिसमे ¼ भाग 30 दिन बाद व ¼ भाग रोपाई के 45-50 दिनों बाद टॉपड्रेसिंगके रूप में देना सही होता है|

जब पौधे 30-32 दिन के हो जाये तो सुक्ष्म पोषक तत्व जैसे मोलिब्डेनम या बोरोनकी 20-40 मिली ग्राम दवाको प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिडकाव करना चाहिए, इससे विभिन्नप्रकार विकृतियोंसे होने वाली हानि से बचा जा सकता है |

सिंचाई और जल प्रबंधन:- ब्रोकोली में सिंचाई की मात्रा का निर्धारण उसकी किस्म, मिट्टी का प्रकार, मिट्टी की जल धारण क्षमता के उपर निर्भर होति है | ब्रोकोली को अपने फसल अवधि के दौरान 25-35 सेन्टीमीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है | शरदऋतु में उत्तर भारत के मैदानी भागो में बहुत हल्की सिंचाई10-15 दिन के अंतराल में जरुरत होति है|

ब्रोकोली की कटाई कैसे करे:-अगेती किस्मो की कटाई दिसम्बर में, मध्यम किस्मो की जनवरी अंत से फरवरी तक तथा पिछेती किस्मो की कटाई मध्य फरवरी में करनी चाहिए |

ब्रोकोली की कटाई उचित अवस्था में करना अति आवश्यक होता है, इसके शीर्ष को उस समय कटना चाहिए जब पुष्प कलिका छोटी एवम् गठी हुयी हो और किसी भी कलिका में पीले फूल विकसितनहुयीहो|

शीर्ष की कटाई 10-20 सेन्टीमीटर तने के साथ करते है | कटाई के समय शीर्ष का वजन लगभग 400-600 ग्राम तथा व्यास 15-25 सेन्टीमीटर हो तो उचित माना जाता है |

उपज:- ब्रोकोलीकी उचित देखभाल से तैयार खेत से कम फैलने वाली किस्मो से 10-15 टन तथा बड़े फैलाओवाली किस्मो से 15-20 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त होति है |

ब्रोकोली का कटाई से बाद रख-रखाव कैसे करे:- कटाई के बाद उत्पाद का उचित देखभालतथा रख-रखाव करना बहोत आवश्यक है| कटाई के बाद तत्काल कटे हुए शीर्ष को धुप से बचाकर छाया में रखना चाहिए| ब्रोकोली बहोतही शीघ्र ख़राब होने वाली सब्जी है, फिर भी यदि इसे 90-95% आद्रताएवम 40*C तापमान पर भंडारण किया जाये तो इसका रंग व विटामिनC की मात्रा अधिक दिन तक बनी रहती है |

नियंत्रित वातावरण में जहा CO2 -10%व ऑक्सीजन-1.0%वहा 40 *Cतापमान पर 10-14 दिनों तक भण्डारित किया जा सकता है |

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