कम लागत में मोती की खेती कैसे करें, How To Cultivate Pearls In Low Cost In Hindi

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आज हम जानेंगे की मोती की खेती कैसे करें Moti Ki Kheti Kaise kare (एक प्रकार का रत्न जिससे आभूषण एवं अन्य सामग्री बनाये जातें हैं ) की खेती किस प्रकार की जाती है | मोती जो की प्राकृतिक रूप से समुन्द्र से प्राप्त की जाती थी किन्तु आज इनकी खेती खरके भी इनको प्राप्त किया जा सकता है | यह एक मूल्यवान रत्न है जिसकी मांग पूरी दुनिया में है भारत में भी इसका उत्पादन मांग के अनुसार कम है इस लिए यहाँ इनको दुसरे देशो से आयत किया जाता है तो आइये हम मोती की उपयोगिता एवं इसका उत्पादन किस प्रकार किया जाये इसके बारे में जानते है |

मोती की उपयोगिता एवं इसके मूल्य Utility of Pearl and Its Price In hindi –

सामान्यतः मोती की उपयोगिता उसके प्रकार पर निर्भर करती है अलग – अलग प्रकार की मोती की अलग अलग उपयोगिता होती है जैसे की मेंटलटिसू जिसकी मांग बाजार में सबसे ज्यादा है क्योंकि इस मोती का उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में किया जाता है इससे  चवनप्राश,टानिक अन्य कई प्रकार के भस्म बनते है जिनको खाने में प्रयोग किया जाता है | गोमट कीमती मोती होता होता है इसकी कीमत हजार से पचास हजार तक होती है यह देखने में गोल आकार का चमकदार मोती होता है इसको प्राकृतिक रूप से प्राप्त किया जाता है |

इसके बाद कृत्रिम मोती का भी उत्पादन किया जाता है जिसको केविटी कहतें है इसका उत्पादन सर्जरी के द्वारा सिप में बीड डालकर किया जाता है इसके आभूषण बनाये जाते है | कृत्रिम मोती में हम डिजाइनर मोती का निर्माण कर सकतें है | इसके साथ जब मोती का उत्पादन हो जाता है तो उसके सीप को भी बाजार में बेचा जा सकता है जिससे हस्तकला व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा सकता है

moti ki kheti kaise kare

इसके अलावा भी इसके अन्य बहोत से लाभ है जैसे

  1.  सीपो से जल प्रदुषण कम होता है जिससे प्राकृतिक रूप से वातावरण को लाभ पहुँचता है |
  2. आज कृषि उत्पादन से किसानो की आमदनी में बहोत अधिक वृद्धि नहीं हो रही है अधिक लाभ के लिए किसान भाई इस व्यवसाय को अपना सकतें है |
  3. यह बहोत कम खर्च में अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय है |
  4. इसके खेती से अन्य लोगो को भी रोजगार प्राप्त होता है |

(और पढ़ें – मधुमक्खी पालन कैसे करें madhumakhi palan kaise kare )

किस प्रकार करतें है मोती की खेती आइये जानते हैं | (How do pearls grow farming In Hindi) –

कृत्रिम मोती के निर्माण में कुछ प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है वास्तव में मोती कुछ जैविक पदार्थो का मिश्रण होता है इसमें मुख्यतः कैल्शियम कार्बोनेट, पानी कुछ जैव प्रदार्थ का युग्म शामिल है | कृत्रिम मोती में हम अपने इच्छा के अनुसार उसे आकृति एवं रूप प्रदान कर सकते है जो की प्राकृतिक मोती में संभव नहीं होता है | प्राकृतिक मोती का निर्माण तब होता है जब सीपो में रहने वाला जीव घोंघा (जो सीप के अन्दर रहता है) अपने भोजन की व्यवस्था के लिए सीप का मुहँ खोलते है जिससे रेत के कण, कीट आदि उसमे घुस जाते है | घोंघा अपने शारीर से एक प्रकार का तरल पदार्थ जो की उस कण पर जमने लगता है जिससे धीरे धीरे मोती का निर्माण होने लगता है निचे दिए गए चित्र में एक प्रकार का घोंघा है जो की सर्वाधिक मोती बनाने वाला घोंघा है इसका नाम ओएस्टर है |मोती की खेती कैसे करें Moti Ki Kheti Kaise kare प्राकृतिक मोती का आन्तरिक परत मोटा होता है क्योंकि इसके केंद्र में जो कीट होतें है वह चोट्टे होतें है तथा कृत्रिम मोती में हम सीप के अन्दर सर्जरी के द्वारा अपने अनुसार बीड डालते हैं | भारत में सीप के सामान्यत 3 ही प्रकार मुख्यतः उपलब्ध होतें है 1) एल. कोरियानस, 2) पैरेसिया, 3) कोरुगाटा यह ऐसे सीप होते है जो अच्छी गुणवत्ता में सीप होते है | इनकी कीमत प्रकार के अनुसार होती है आपको 5

मोती उत्पादन के लिए जितनी जरुरी उसके उत्पादन करने की विधि जानना है उतनी ही जरुरी उसके रख रखाव एवं सामग्री के चुनाव को भी जानना होता है | मोती उत्पादन की शुरुआत आप 10×10 फिट वाले तालाब से कर सकतें है | इससे वृहद् आकर भी हो सकता है एवं आप कम से कम 1000 सीपों के साथ मोती का उत्पादन शुरू कर सकतें है | हम आपको मोती के खेती के लिए सबसे मितव्ययी एवं सरल विधि को बतायेंगे आप अपने क्षमता के अनुसार इसको वृहद् आकार में भी कर सकतें हैं  | इसके उत्पादन के लिए सबसे अनुकूल मीठा पानी होता है एवं अनुकूल मौसम अक्टूबर से दिसम्बर का होता है तो आइये जानते है इसके उत्पादन की प्रक्रिया को  –

01) सबसे पहले हमें सीपो को इक्कठा करना होता है आप इनको नदियों तालाबो आदि से प्राप्त कर सकतें एवं इसे खरीद भी सकते है बाजार में यह आपको 20 से 30 परन्तु आकार के अनुसार इसके कीमत में वृद्धि भी हो सकती है मोती उत्पादन कने वाले सीप का मानक आकार 8 सेंटीमीटर होता है इससे बड़े सीप को भी उपयोग में लाया जा सकता है |

02) जब सीप आपको प्राप्त हो जातें है तो इनको आप 10 से 15 दिनों तक आपको सर्जरी करने से पहले उसे उस पानी में रखना होता है  जिसमे आपको मोती का उत्पादन करना है क्योंकि जब आप सीप को प्राप्त करतें है जो यह अलग वातावरण के पानी से आतें है 10 से 15 दिनों में यह पानी के अनुकूल हो जातें है इनमे से कुछ सीप मृत भी हो सकतें है जो उस पानी के वातावरण में नहीं ढल पातें है एवं इतने दिनों के बाद इनकी सर्जरी करना भी आसान हो जाता है क्योंकि यह थोड़े ढीले पड़ जातें है |

03) तीसरे चरण में सीपों की सर्जरी की जाती है सीपो को सर्जरी करने के लिए पहले इसे पानी से निकाल कर कुछ देर तक इसको एक ट्रे में थोडा पानी इसके मुहँ को ऊपर की ओर करके रखें जिससे सीपों की सर्जरी आसान हो जाती है क्योंकि यह अपना मुहँ खोल देतें है तथा इसका मुहँ आचे से खोलने के लिए आप किसी नुकले औजार का उपयोग कर सकतें है | किन्तु यह ध्यान से करना चहिये जिससे सीप के कोशिकाओं को कोई नुकसान न हों | इसका मुहँ ज्यादा से ज्यादा 8 मिलीमीटर तक ही खुलना चाहिए| इससे ज्यादा मुहँ खोलने पर सीप के मरने की संभावना होती है |

04) सीप का मुहँ खुल जाने के बाद इसके कोशिकाओं जो की सीप के दोनों तरफ होती है उसमे छोटा कट लगाकर पॉकेट बनाया जाता है जिससे की इसमें बीड डाला जा सके | बीड को सावधानी से पॉकेट में डाला जाता है ओर यह ध्यान रखा जाता है की यह सीप के बहरी हिस्से को स्पर्श करे | हम सीप से दोनों ओर डिज़ाइनर बीड डाल सकतें है | डिज़ाइनर बीड के डिजाईन वाले पक्ष को कोशिका की तरफ रखेंगे एवं प्लेन पक्ष को सीप की तरफ,एक सीप से दो डिज़ाइनर मोती बनाया जा सकता है | और यदि गोल मोती बनानी हो तो वह एक ही संभव होती है | बीड डालने के बाद इसके मुह को बंद करके इसको 10 से 15 दिनों तक इसको एंटीबायोटिक वाले  में रखा जाता है एवं रोजाना यह देखा जाता है की यह स्वस्थ है की नहीं | जीवित बचे सीपों को अलग कर इसे नायलॉन पैकेट्स में प्रति पैकेट प्रति सीप रखकर तालाब में 3 फिट तक की गहराई में लटका दिया जाता है |

05) तालाब में छोड़ने के बाद समय – समय पर इसका निरिक्षण करते रहना चाहिए तथा मरे हुए सीपों को अलग कर देना चाहिए |  इस  प्रकार 12 से 14 महीनो में डिज़ाइनर बीड से मोती तैयार जाती है | और गोल मोती के उत्पादन में दो से ढाई वर्षो का समय लग जाता है |

(और पढ़ें – केसर की खेती कब और किस तरह करें Saffron Farming in hindi )

मोती निर्माण में बरते जाने वाली कुछ सावधानियां (Some precautions to be made in pearl construction)-

  1. इसके साथ कभी – कभी सीपों में हरी शैवाल लग जाती है वैसे तो यह इनका भोजन है किन्तु ज्यादा मात्र में होने पर यह सीपों को नुकसान पहुंचा सकती है|
  2. पानी में अमोनिया की मात्रा की भी जाँच करते रहना चाहिए | यदि अमोनिया बढ़ जाये तो 20% से 30% तक पानी को कम करके नया पानी मिला दें |
  3. पानी का तापमान 25 से 30 हो उससे ज्यादा होने पर इसके तापमान को कम करने के उपाय करने चाहिए एवं सीपों को 5 फिट गहराई तक डाल देना चाहिए | जिससे इनपर तापमान बढ़ने का प्रभाव नहीं पड़ेगा एवं यह सुरक्षित रहेंगे |

इस प्रकार आप मोती की खेती से 40000 से 50000 हजार रु. व्यय करके वर्ष में 1 लाख से 1.50 लाख तक आय प्राप्त कर सकतें है | यह केवल 10 x 10 फिट के तालाब में प्राप्त किया जा सकता है अर्थात इसके लिए ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं है | स्थान एवं व्यय की मात्रा बढ़ा कर आप ज्यादा लाभ भी ले सकतें हैं

(और पढ़ें – किसान कॉल सेण्टर न. KIsan Call Center No. – 1800-180-1551 के बारे में)

मोती की खेती का प्रशिक्षण केंद्र moti ki kheti training center –

मोती की खेती का प्रशिक्षण लेने के लिए आप निचे दिए गले लिंक पर जाकर Online Registration कर सकते है, और मोती की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी जैसे –

  • तालाब और टंकी का निर्माण
  • मीठे पानी में पाए जाने वाले सीपों का विवरण.
  • सीपों की आतंरिक संरचना.
  • केमीकल और डिजिटल उपकरणों द्वारा पानी की प्रयोगशाला विधि से जांच और गुणवत्ता में सुधार करना.
  • इस्तेमाल किये जाने वाले पानी का शोधन.
  • सीपों के लिए चारे का निर्माण करना.
  • सर्जरी से लिए सीपों को तैयार करना.
  • सर्जरी के उपकरणों (imported व स्वदेशी) की पहचान.
  • केन्द्रक (Nucleus- imported) की पहचान और इसका निर्माण करना.
  • विन्भिन्न प्रकार के सर्जरी :-
    a. Mantle cavity (डिजायनर और आधे गोल मोती).
    b. Mantle tissue (छोटे, गोल और दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले मोती).
    c. Gonadal (पूर्ण गोल मोती).
  • तालाब और टंकी के पानी की गुणवत्ता को सुधार करना.
  • तालाब या टंकी में विस्थापित करना.
  • सर्जरी के बाद की देखभाल.
  • पाले हुए सीपों से मोती प्राप्त करना.
  • सीपों की हैचरी (प्रजनन).

मोती की खेती का प्रशिक्षण केंद्र पंजीयन Moti training center registration Click Here

(और पढ़े – फूलों की खेती कैसे करें जानकारियाँ – phoolo ki kheti hindi)