गेंदा फूल की खेती कैसे करे उसकी जानकारी – Marigold cultivation in hindi

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गेंदा फूल की खेती कैसे करे उसकी जानकारी – Marigold cultivation in hindi

गेंदा फसल की देखभाल – phoolon ki kheti kaise kare

  • गेंदा फूल की पैदावार बढ़ाने के लिए समय समय पर निराई गुड़ाई कर खेत से खरपतवार साफ़ करे, या कई तरह के रसायनिक खरपतवार नाशक का उपयोग करके भी हम खरपतवार पर नियंत्रण पा सकते है, इससे गेंदा फूल की गुणवत्ता अच्छी होती है!
  • सिचाई का उचित प्रबंध करे, बारिश नहीं होने पर हफ्ते में एक बार पानी दें, सर्दियों में 10 से 15 दिनों में एक बार पानी दें, पौधे मुरझने की स्थिति में पानी लगाना जरुरी हैं, पानी कम मात्रा में बार बार लगाये,
  • पौधों पर मिटटी चढ़ाए, अधिक बरसात वाले क्षेत्रों में गेंदा लाइनों में लगायें और पौधो के ऊपर से मिटटी चढ़ाये ताकि यदि ज्यादा बारिश होती है या निचे जमीं पर ज्यादा पानी भरने का अंदेशा रहता है तो पानी का असर पौधे पर नहीं आएगा ! और पौधे मेड पर खड़े रहेंगे और पानी नालियों में चला जायेगा ! इसका एक आवर फायदा ये होता है जब पौधों पर फूल लगते है, तब वजन के कारण पौधे इधर उधर गिरने लगते है मिटटी चढ़ने से पौधे सीधे रहते है और फसल की गुणद्वक्ता बानी रहती है जिससे पैदावार भी अच्छी होती है

गेंदा फूल की खेती कैसे करे उसकी जानकारी

गेंदा की बुवाई के लिए अनुकूल समय (गेंदा की खेती का समय)

ऋतु बीज बोन का समय पौधा रोपण का समय
वर्षा  10 – 15 जून 10 – 20  जुलाई
सरद 10 – 15 सितम्बर 10  – 20 ओक्टुबर
गर्मी जनवरी – फरवरी फरवरी – मार्च

 

गेंदा फूल के पौधो के लिए पोषक तत्व प्रवंधन

गेंदा फूल की पैदावार बढ़ने के लिए, खेत तैयार करते समय 80 क्विंटल कम्पोस्ट खाद प्रति एकड़ डाल सकते है ! साथ ही 50 – 70 kg Nitrogen, 25 – 35 kg फास्फोरस, 25 – 35 kg फास्फोरस का उपयोग प्रति एकड़ आप कर सकते है, Nitrogen की आधी मात्रा खेत तैयार करते समय और आधी मात्रा पौधा लगने के 30 से 40 दिन के अंदर करे !
खड़े पौधों में अच्छी बढ़वार के लिए घुलनशील नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 से 15 दिन में एक बार छिड़काव करें,

गेंदे की उन्नत किस्मों के बीजो का चुनाव

अफ्रीकन गेंदे की किस्म
गोल्डन जुबली, येलो क्लाइमेक्स, पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसंती गेंदा, अलास्का, एप्रिकॉट, बरपीस मिराक्ल, बरपीस ह्नाईट, क्रेकर जैक,ओरेन्ज जूबली, क्राऊन ऑफ गोल्ड, कूपिड़,येलो फ्लफी, डबलून, फ्लूसी रफल्स, फायर ग्लो,अफ्रीकन ओरेन्ज, जियाण्ट सनसेट, गोल्डन एज, गोल्डन क्लाइमेक्स जियान्ट,गोल्डन मेमोयमम, गोल्डन येलो, गोल्डस्मिथ, हैपिनेस, हवाई, हनी कॉम्ब, मि.मूनलाइट, प्रिमरोज, सोबेरेन, रिवरसाइड, सन जियान्ट्स, सुपर चीफ, डबल, टेक्सास, येलोस्टोन, जियान्ट डबल जियान्ट डबल अफ्रीकन येलो आदि ।

अफ्रीकन गेंदे की हाइब्रिड्स किस्म : गोल्ड लेडी, अपोलो, फर्स्ट लेडी, ग्रे लेडी, मून सोट, ओरेन्ज लेडी, शोबोट, क्लाइमेक्स, टोरियडोर, इन्का गोल्ड, इन्का येलो, इन्का ओरेज्न आदि ।

फ्रेन्च गेंदे की कि‍स्‍में
1 . सिंगल : नॉटी मेरियटा, डायण्टी मेरियटा, टेट्रा रफल्ड रेड, सन्नी, आदि।
2. डबल : मिडगेट हारमनी, बोलेरो, बोनिटा, बा्रउनी स्कॉट, बरसीप गोल्ड नगेट, हारमनी, बरसीप रेड एण्ड गोल्ड, स्पनगोल्ड, बटर स्कॉच, कारमेन, कूपिड़ येलो, एल्डोराडो, प्रिमरोज क्लाइमेक्स, फोस्टा, गोल्डी, जिप्सी डवार्फ डबल्, लेमन ड्राप, मेलोडी, ओरेन्ज फ्लेम, पेटाइट गोल्ड, पेटाइट हारमनी, रेड ब्रोकेड, रस्टी रेड, स्पेनिश ब्रोकेड, स्प्री, टेन्जेरीन, येलो पिग्मी आदि|

गेंदा के फूलों में लगने वाले कीड़े या बीमारी और उनका रोकथाम

  • वैसे तो गेंदों के फसल में ज्यादा बीमारी नहीं लगती है, और ये बहुत ही अच्छी फसल है, अगर हम बीमारी और कीड़ो की बात करे तो, लेकिन कभी कभी इसमें एक तो कीड़ा आता है जो मकड़ी जैसा जाला बना लेता है, इसे हम रेड स्पाइडर ( लाल मकड़ी ) कहते है, इसका प्रकोप होने पर पौधो पर जले दिखाई देती हैं ! और इसका ज्यादा प्रकोप होने पर पत्तियां धूलभरी दिखाई देती है,
  • इसके नियंत्रण करने के लिए आप मेलाथियान या रोगर की 2 से 3 मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, 1 से 2 छिड़काव में ही इसका नियंत्रण हो जाता है,
  • सितम्बर – ओक्टुबर के महीनो में इसमें कुछ निचे हरे रंग का फुदका या might और सफ़ेद रंग की मक्खी का प्रकोप होता है जिससे पौधे और निचे की ओर से सिकुड़ने लगती है क्योंकि कीड़े पत्तियों का रास चूसते है जिससे पत्तियाँ अयेठांशील हो जाती है इससे बचने के लिए आप
  • इसके नियंत्रण करने के लिए आप मेलाथियान या रोगर की 2 से 3 मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, 1 से 2 छिड़काव में ही इसका नियंत्रण हो किया जा सकता है,
    3. इसमें एक और बीमारी आती है जिसे हम इंग्लिश में Alternaria कहते है और साधरण भाषा में हम इसे झुलसा रोग भी कहते है इसमें पत्तियाँ काली पद जाती है

genda ki kheti in hindi

फूलो का तुड़ाई प्रबंधन

फूलों की तुड़ाई सुबह अथवा शाम के समय पर करें, और तोड़ने के बाद फूलों को गठरियों में न बांधे इसके लिए आप फूलो को टोकरियों में रख कर ठंडी जगह पर रखें क्योंकि ज्यादा तर मण्डियां सुबह अथवा शाम के समय लगती है और सुबह के समय पर आपके फूल ताज़ी अवस्था में रहेगी और टोकरियों में रखने की वजह से फूलों का आकर भी सही बना रहता है जिससे बाजार में उसस्के दाम निश्चित रूप से अच्छे मिलते है, गठरियों में बांधने से फूलों का आकर बिगड़ जाता है इसलिए फूलों को गठरियों में बांधकर न रखे !

गेंदे से होने वाले फायदे एवं लाभ – marigold Benefits in Hindi (फूलों की खेती से लाभ)

  • गेंदे के पत्तियों के द्वारा तैयार किये गए पेस्ट को हम फोड़े के उपचार में भी प्रयोग करते है ! साथ ही गेंदे के पत्तियों के रस का उपयोग कान दर्द के उपचार के लिए भी किया जाता है !
  • गेंदे के उपयोग से त्वचा, मुहाँसे, गठिया, कमजोर तव्चा और टूटी हुई कोशिकाओं में लाभ होता है !
  • जलन को जलन को ख़त्म करने के लिए भी गेंदे का उपयोग किया जाता है साथ ही पेट के मरोड़ को काम करने के लिए टॉनिक के रूप में भी इस्तमाल किया जाता है !
  • पुष्प के रस को स्वच्छ्क, अल्सर एवं बवासीर और नेत्र सम्बंधित रोगो में इसका उपयोग उपचार के लिए किया जाता है !

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