Brussels sprouts का नाम बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स शहर के नाम पर पड़ा है|यह गोभी वर्गीय परिवार का ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियाँ गोभी की जैसे होती है | तथा पौधों के तनों पर जिससे पत्तियाँ निकलती है, उनके कक्ष से छोटे-छोटे पत्ता गोभी जैसे गांठ निकलते है जिसका व्यास 2.5 – 4.0 सेन्टी मीटर तथा वजन 20-30 ग्राम होता हैं ब्रुसेल्स स्प्राउट्स के उस भाग को सब्जी एवं खाने के लिए लिया जाता हैं | यह पोषण की दृष्टि से बहोत ही अच्छा सब्जी है|इसमें प्रोटीन, विटामिन-A तथा C कैल्सियम, आयरन प्रयाप्त मात्रा में पाए जाते हैं| इसमें नमी-85.2 ग्राम, प्रोटीन-4.9 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट्स-8.3 ग्राम पाया जाता है| इसके साथ ही इसमें अन्य खनिज तत्व भी प्रयाप्त मात्रा में पाए जाते है|
ब्रुसेल्स स्प्राउट्स के बारे में संछिप्त जानकारी
- Botanical Name – Brassica oleracea var. gemmifera
- Family – Cruciferae/ Brassicaceae
- Origin – Mediterranean region
- Chromosome No.- 2n=18
ब्रसेल्स स्प्राउट्स के लिए उपयुक्त जलवायु – Climate suitable for Brussels sprouts in hindi
इसकी खेती यूरोप, जापान, उत्तरी अमेरिका के शीतोष्ण क्षेत्र में किया जा रहा है| भारत देश में इसकी खेती बहोत सीमित क्षेत्र में किया जाता है हिमाचल व अन्य पर्वतीय क्षेत्र में किया जाता है उत्तर भारत के मैदानी व पहाड़ी क्षेत्र में इसे ठण्ड के दिनों में उगाया जाता है| इसके लिए ठण्ड और नम जलवायु उपुक्त होती हैं | यह ठंढ प्रतिरोधी फसल है |
मृदा SOIL – ब्रुसेल्स स्प्राउट (Brussels sprouts) की खेती के लिए ऐसे मृदा का चुनाव करना चाहिए जो जिसमे कार्बनिक पदार्थ बहुलता से हो तथा उपयुक्त जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती हैं |
ब्रसेल्स स्प्राउट्स की किस्म – Variety of Brussels sprouts in hindi
ब्रुसेल्स स्प्राउट की किस्मो को 3 तीन समूहों में बाटा हैं –
ब्रसेल्स स्प्राउट के प्रकार |
ब्रसेल्स स्प्राउट की किस्म |
ब्रसेल्स स्प्राउट की विशेषताएँ |
1. बौनी किस्मे (DWARF CULTIVARS) |
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इसकी उँचाई 50 सेंटी मीटर तक होती है | इसमें जो कलिका \ गोभी(स्प्राउट्स ) होती है वह मध्यम आकार की होती हैं | |
2. मध्यम उँचाई वाली किस्मे |
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3. उँची किस्मे |
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उँची किस्मो में इसमें शीर्ष अच्छे बनते हैं
कैम्बिज न. 1,2,3,4 तथा 5 यह हल्के रंग वाले हैं| |
4. Other Varieties
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यह किस्म उत्तरी मैदानी तथा पहाड़ी क्षेत्र के लिए उपुक्त है | |
ब्रसेल्स स्प्राउट्स के लिए भूमि की तैयारी – Preparation of Land for Brussels Sprouts in hindi –
इसके लिए खेत की तैयारी भूमि की किस्मो के ऊपर निर्भर करती है | हल्की भूमि में 2-3 जुताई करनी चाहिए | तथा हल्की चिकनी भूमि में 4 -5 जुताई करके भुरभुरा कर लेना चाहिए | भूमि की जुताई ट्रेक्टर, रोटावेटर, बैल चलित हल से भी किया जा सकता है |
बीज दर (seed rate) – ब्रुसेल्स स्प्राउट्स का बीज दर गोभी वर्गीय अन्य सब्जियों के बराबर ही लगता है | प्रति हेक्टेयर 500 – 600 ग्राम बीज की मात्रा प्रयाप्त होती है |
ब्रसेल्स स्प्राउट्स के बीज बोआई का समय – sowing time for Brussels sprouts in hindi – इसकी बीजो की बोआई सामान्यता सितंबर माह से प्रारंभ हो जाती है | लेकिन उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्र में अक्टूबर से नवम्बर में बोआई की जाती है | तथा पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से अप्रैल में करना उचित होता हैं |
ब्रसेल्स स्प्राउट्स का पौध तैयार करना या नर्सरी तैयार करने की विधि – Method of preparation of nursery preparation for plants of Brussels sprouts in hindi खेत की अच्छी तरह से जुताई कर के भुरभुरा कर लिया जाता है | उसके पश्चात् क्यारी बनाई जाती है क्यारी की चौड़ाई 1 मीटर रखते है जिससे कृषि कार्य करने में सुविधा होती है तथा क्यारी की लम्बाई उपयोग के अनुसार रखते है | इन क्यारियों में बीज की बोआई हेतु पंक्ति से पंक्ति की दुरी -3-4 सेन्टीमीटर रखते है तथा बीजों की दुरी 1 – 2 मिलीमीटर रखते है|
उसके पश्चात बीजों की बोआई करके हल्की सिंचाई कर दी है | बीजो में 7 दिन में अंकुरण आ जाता है तथा 21 से 27 दिनों में पौधो को मुख्य खेत में स्थानांतरण करके सिंचाई कर देना चाहिए |
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ब्रसेल्स स्प्राउट्स की फसल में खाद और उर्वरक – Compost and fertilizer in the crop of Brussels sprouts in hindi
ब्रुसेल्स स्प्राउट की अच्छी उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक का सही मात्रा और समय पर मिलना जरुरी होता है , इसके उत्पादन में 10-12 टन FYM (अच्छे प्रकार से सड़ी हुयी गोबर की खाद ) खेत जुताई के समय डालना चाहिए | नत्रजन- 80-100 KG. , फास्फोरस- 60-80 KG .,पोटाश- 50-60 KG. प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए | नत्रजन की आधी मात्रा पौध स्थानांतरण के 20 दिन बाद टॉप ट्रेसिंग के रूप में देना चाहिए |
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पौध रोपाई तथा दुरी (TRANSPLANTING AND DISTANCE ) – ब्रुसेल्स स्प्राउट्स को मुख्य खेत में रोपाई तब करना चाहिए जब पौधा नर्सरी में 21 -27 दिन का हो जाये | तथा पौधे की लम्बाई 8 – 10 सेन्टीमीटर जाये | इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की पौधो की रोपाई शाम समय की जाये अन्यथा पौधे मुरझाने लगते है | पौधो की रोपाई कर के तत्काल सिचाई कर देना चाहिए |
ब्रसेल्स स्प्राउट्स की निकाई गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाना (HOEING AND EARTHING UP) – ब्रुसेल्स स्प्राउट्स के स्वस्थ व अच्छे फसल के लिए खेत से बीच – बीच में खरपतवारों को निकाई गुड़ाई करके निकालते रहना चाहिए | साथ ही मिटटी भी चढ़ा देना चाहिए इससे पौधे को खड़े रहने में सहायता होता हैं | पूरी फसल अवधि के दौरान निकाइ गुड़ाई का काम 3 – 4 बार करना चाहिए |
ब्रसेल्स स्प्राउट्स कीफसल तोड़ाई/कटाई (HARVESTING ) –
ब्रुसेल्स स्प्राउट्स की कटाई फसल अवधि के दौरान कई बार की जाती है, इसमें छोटे-छोटे स्प्राउट/कलिकाये जब 3 – 4 सेंटीमीटर की मोटाई अथवा गोलाई के हो जाये तो इन्हे काट लेना चाहिए | कटाई के पश्चात पुनः इसमें से स्प्रॉउटिंग आने लगती हैं |
उपज (YIELD)– ब्रूसेले स्प्राउट्स की फसल को अच्छी देख रेख तथा उचित प्रकार से उत्पादन कार्य करने पर प्रति पौधा 800 – 1000 ग्राम स्प्राउट्स प्राप्त होता है | तथा प्रति हैक्टेयर 1500 – 2000 कुन्तल तक उपज प्राप्त होता है |
भंडारड (STORAGE)– अच्छे प्रकार से विकसित तथा किट व रोग रहित स्प्राउट्स को 0 -1*C तापमान तथा 90 – 95 % आपेछित आद्रता पर 3 से 5 सप्ताह तक भंडारित किया जा सकता है |
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