Chandan ki kheti – औषधिय फसलो मे चंदन एक एसा पेड़ है जिसकी लकडी भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता से जुड़ी है। अगर बात हिन्दू धर्म मे पूजा – पथ कि हो तो और भी मह्त्व बढ जाता है। एसा कोई घर नही जिसके पास चन्दन कि लकड़ी न हो । इसकी महता यही तक सिमित नही है बल्कि इसकी लकडी से औषधीय तथा सुगन्धित इत्र बनाया जाता है।इसलिये इसकी माँग देश ही नही बल्कि पुरे देश मे मौजुद है।उत्पादन कम होने के कारण चन्दन की लकडी कि किमत बहुत ज्यादा है। वर्तमान समय मे भारत मे 7000 से 8000 टन कि चन्दन की लकडी कि खपत है। लेकिन उपलब्धता मात्र 100 टन तक ही है। जिसके कारण इसकी किमत 6000 से लेकर 12000 रूपय प्रति किलो है।

पुरे विश्व मे चन्दन कि 16 प्रजातियाँ है। जिसमे एल्बम प्रजातियाँ सबसे सुगंधित तथा औषधीय युक्त है। इसके अलावा सफेद चन्दन,सेंडल , अबेयाद , श्रीखंड, सुखद सन्डालो की प्रजाति कि चन्दन पायी जाती है।
चन्दन की खेती : कम जमीन मे ज्यादा कमाई
चन्दन कि खेती से जुडकर किसान करोड़पति बन सकते है।बशर्ते उन्हे धैर्य के साथ चन्दन की खेती करनी होगी । अगर किसान आज चंदन के पौधे लगाते है तो 15 साल बाद किसान अपने उत्पादन को बाजार मे बेचकर करोड़ो रूपय कमा सकते है। देश मे लदाख और राजस्थान के जैसलमेर को छोड़कर सभी भू भाग मे चन्दन कि खेती की जा सकती है।
सफेद चन्दन की खेती , लागत कम और मुनाफा ही मुनाफा, जाने पूरी जानकारी –
ऐसी ही एक फसल , जो किसानो कि कम लागत मे ज्यादा मुनाफा देने वाली साबित हो रही है और वह है सफेद चन्दन की खेती । नीति आयोग ने भी कहा है की वे अपनी वन भूमि और कृषि भूमि पर चन्दन और बांस के पौधे लगाये , साथ ही किसान भाइयों को भी ऐसे कारोबारी वृक्षारोपण के लिए जागरुक करे। सफेद चन्दन के पौधे को अधिक देखभाल की जरुरत नही होती , शुरु के एक साल मे खास देखभाल की जरुरत होती है।बंजर जमिन पर भी इसकी खेती कि जा सकती है। इसको कम पानी की जरुरत होती है सफेद चन्दन के पेड़ कि उचाई 18 से 25 फीट होती है , और इसको तैयार होने मे 12 से 15 साल लगते है। सफेद चन्दन को बढ़ने के लिए किसी सहायक पौधे कि जरुरत होती है। सफेद चन्दन के लिये सहायक पौधा अरहर है जो की पौधा के विकास मे सहायक होता हैं। अरहर कि फसल से चन्दन को नाइट्रोजन तो मिलता ही है साथ ही साथ इसके तने और जड़ों की लकड़ी मे सुगंधित तेल का अंश बढ़ता जाता है।
सफेद चन्दन का इस्तेमाल औषधीय बनाने , साबुन , अगरबत्ती, कंठी माला, फर्नीचर , लकडी के खिलौने , हवन सामग्री और विदेशो मे फूड मे होता है।
चन्दन की खेती के नियम | Chandan ki kheti
देश मे साल 2000 से पहले आम लोगो को चन्दन को उगाने और काटने की मनाही थी। साल 2000 के बाद सरकार ने अब चन्दन की खेती को आसान बना दिया है। अगर कोई किसान चन्दन कि खेती करना चाहता है तो इसके लिए वह वन विभाग से सम्पर्क कर सकता है। चन्दन की खेती के लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरुरत नही होती है। केवल पेड की कटाई के समय वन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट लेना होता है जो आसानी से मिल जाता है।
चन्दन की खेती कैसे करे?
चन्दन की खेती के लिये सबसे पहले मिट्टी के साथ पौधे का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है। सफेद चन्दन की 375 पौधे एक एकड़ खेत मे लगाया जा सकता है। चन्दन की पौधो मे ज्यादा पानी नही लगना चाहिये इसके लिए खेत मे मेड बनाकर रोपाई करनी चाहिए । इसके लिये मेड से मेड की दूरी 10 फूट होना चाहिए तथा मेड के उपर पौधे से पौधे की दूरी 12 फूट होनी चाहिए।।
चन्दन कि खेती के लिये कैसी मिट्टी की जरुरत है?
चंदन कि खेती सभी तरह की मिट्टी मे हो सकती है लेकिन रेतीली मिट्टी , चिकनी मिट्टी, लाल मिट्टी , काली दानेदार मिट्टी चन्दन के पौधे के लिए ज्यादा उपयुक्त है। चंदन का पेड लाल मिट्टी मे अच्छी तरह से उगता है। इसके अलावा चट्टानी मिट्टी , पथरीली मिट्टी, और चुनेदार मिट्टी मे भी ये पेड़ उगाया जाता है।हालाकि गीली मिट्टी और ज्यादा मिनरल्स वाली मिट्टी मे ये पेड़ तेजी से नही उग पाता। चन्दन कि खेती वैसे जगह पर नही करे जहा पानी का जमाव होता हो, बर्फ गिरती है, रेत भरी मिट्टी है ,इसके अलावा तीव्र ठंड चंदन के लिए उपयुक्त नही है।
चन्दन की खेती के लिये बूआई का समय और जलवायु कैसी होनी चाहिये-
अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुआई के लिए सबसे अच्छा होता है । पौधे बोने से पहले 2 से 3 बार अच्छी और गहरी जुताई करना जरुरी होता है। जताई होने के बाद 2×2×2 फीट का गहरा गड्ढा खोदकर उसे कुछ दिनो के लिए सूखने के लिए छोड देना चाहिए । अगर आपके पास काफी जगह है तो एक खेत मे 30 से 40 सेमी की दूरी पर चन्दन के बीजो को बो दे । मानसून के पेड़ मे ये पौधे तेजी से बढ़ते है लेकिन गर्मियों मे इन्हे सिंचाई की जरुरत होती है। चन्दन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले इलाके मे लगाना सही माना जाता है। इसके लिये 7 से 8•5 एच पी वाली मिट्टी उत्तम होती है।एक एकड़ मे भूमि मे औसतन 400 पेड़ लगाये जाते है। इसकी खेती के लिये 500 से 625 मिमी वार्षिक औसत बारिश कि आवश्यकता होती है।
चन्दन के पौधे कैसे लगाये?
चन्दन की खेती के लिए किसानो को सब्से पहले चन्दन के बीज या फिर चन्दन का छोटा सा पौधा या लाल चन्दन या सफेद चन्दन के बीज लेने होंगे जो की बाजार मे उप्लब्ध है। चन्दन के पेड़ अकेले नही लगाया जा सकता है। अगर अकेले चन्दन का पेड़ लगाया गया तो यह सुख जायेगा । इसका कारण यह है की चंदन अर्ध परजीवी पौधा हैं मतलब आधा जीवन के लिये जरुरत खुद पुरा करता है तो आधे जरुरत के लिए दुसरे पौधे के जड़ों पर निर्भर रहता है इसलिये जब भी चन्दन के पड़ लगाएँ तो उसके साथ और भी पेड़ लगाये। एक बात का ख्याल रखना होगा की चन्दन के कुछ खास पौधे उसके साथ ही लगाने पर ही चंदन का विकास सम्भव है। जैसे नीम , मीठी नीम , सहजन , लाल चन्दन इत्यादी ।जैसा की पहले बताया जा चुका है की चन्दन के पौधे अकेले जीवित नही रह सकता है । इसके लिये दुसरे पेड़ का होना जरुरी है । इसलिये एक एकड़ मे 375 सफेद चन्दन के पौधे के लगाने के साथ ही 1125 चन्दन की होस्ट ( साथी ) पौधे को लगाना होगा इसके लिये यह जानना जरुरी है की चन्दन के पौधे के साथ कौन कौन से पौधे साथी है ।
एक एकड़ मे चन्दन के पौधे के साथ उसके साथी पौधे को बोना चाहिए ।
1 प्राथमिक साथी = 375
2 लाल चन्दन =125
3 कैजुरयिना =125
4 देसी नीम = 125
5 सेकेंडरी होस्ट = 750
6 मीठी नीम =375
7 सह्जन = 375
चन्दन की खेती मे खाद प्रबंधन कैसे की जाती है –
चन्दन की खेती मे जैविक खाद की अधिक आवश्यकता पड़ती है। शुरु मे फसल की वृद्धि के समय खाद की जरुरत पड़ती है। लाल मिट्टी के 2 भाग , खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को खाद के रूप मे इस्तेमाल किया जा सकता है। गाद भी पौधो को बहुत अच्छा पोषण प्रदान करता है।
चन्दन की खेती मे खरपतवार से बचाव –
चन्दन की खेती करते समय , चन्दन के पौधे को पहले साल मे सबसे अधिक देखभाल कि आवश्यकता होती है। पहले साल मे पौधे के आस पास की खरपतवार को हटाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दुसरे साल भी साफ सफाई करनी चाहिए । किसी भी तरह का पर्वतारोही या जंगली छोटा कोमल पौधा हो तो उसे भी हटा देना चाहिए।
चन्दन की खेती मे सिंचाई प्रबंधन कैसे की जाती है –
बारिश के समय मे चन्दन के पेड़ों का तेजी से विकास होता है लेकिन गर्मी के मौसम मे इसकी सिंचाई अधिक करनी पडती है। सिंचाई मिट्टी मे नमी और मौसम पर निर्भर करती है। शुरुआत मे बरसात के बाद दिसम्बर से मई तक सिंचाई करनी चाहिए । रोपण के बाद जब तक बीज का 6 से 7 सप्ताह मे अकूरंण शुरु ना हो जाये तब तक सिंचाई को रोकना नही चाहिए। चन्दन कि खेती मे पौधो के विकास के लिए मिट्टी का हमेशा नम और जल भराव होना चाहिए। अंकुरित होने के बाद एक दिन छोड़कर सिंचाई करे।
चन्दन की खेती मे कीट एवं रोग नियन्त्रण कैसे करे –
चन्दन की खेती मे सैन्डल स्पाइक नाम का रोग चन्दन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इस रोग के लगने से चन्दन के पेड़ सभी पत्ते भी छोटे हो जाते है। साथ ही पेड़ टेडे मेढे हो जाते है। इस रोग से बचाव के लिए चन्दन के पेड़ से 5 से 7 फीट की दूरी पर एक नीम का पौधा लगा सकते है जिससे कई तरह के कीटों से चन्दन के पेड़ की सुरक्षा हो सकेगी । चन्दन के 3 पेड़ के बाद एक नीम का पौधा लगाना भी कीट प्रबंधन का बेहतर प्रयोग है।
चन्दन के फसल की कटाई कैसे की जाती है –
चन्दन का पेड़ जब 15साल का हो जाता है तब इसकी लकड़ी प्राप्त की जाती है। चन्दन के पेड जड़ें बहुत खुशबूदार होती है।इसलिये इसके पेड़ को काटने की बजाय जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। पौधे को रोपने के पांच साल बाद से चन्दन की रसदार लकड़ी बनना जरुरी हो जाता है। चन्दन के पेड़ को काटने पर उसे दो भाग निकलते है। एक रसदार लकड़ी होती है और दुसरी सुखी लकड़ी होती है। दोनो ही लकड़ी का मूल्य अलग अलग होता है।
चन्दन का बाजार भाव –
देश मे चन्दन की माँग इतनी है की इसकी पूर्ति नही की जा सकती है। देश मे चन्दन की मांग 300 % है जबकी आपूर्ति मात्र 30 % है। देश के अलावा चन्दन की लकड़ी की माँग चाइना , अमेरिका , इंडोनेशिया आदी देशो मे भी है। वर्तमान मे मैसूर की चन्दन लकड़ी के भाव 25 हजार रूपय प्रति किलो के आसपास है। इसके अलावा बाजार मे कई कम्पनी चन्दन कि लकड़ी को 5 हजार से 15 हजार रूपय किलो के भाव से बेच रही है। एक चन्दन के पेड़ का वजन 20 से 40 किलो हो सकता है। इस अनुमान से पेड़ की कटाई छटाई के बाद भी एक पेड़ से 2 लाख रूपय तक की कमाई हो सकती है। चन्दन कि लकड़ी का भाव देश मे 8 से 10 हजार रूपय प्रती किलो है। जानकारी के अनुसार चन्दन की लकड़ी का औसत बाजार मूल्य 5 से 6 हजार रूपय प्रतिकिलो है। इसके एक उन्न्त किस्म के पेड़ मे एक घन फूट से ज्यादा लकड़ी होती है। सामान्यतौर पर एक एकड़ मे 300 पौधे तैयार किये जा सकते है।
चन्दन की खेती से जुड़े कुछ अफवाह के बारे मे जानना जरुरी है।
इसकी खेती करने वाले किसानो मे एक भ्रांतिया रह्ती है की इसकी खेती करने के लिए सरकार से लाइसेंस लेने की जरुरत पड़ती है। किसान समाधान आप सभी किसान को आश्वश्त करना चाहता है की चन्दन की खेती के लिए किसी भी तरह का कोई लाइसेंस लेने कि जरुरत नही है। केवल पेड़ की कटाई के समय राज्य वन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टीफिकेट लेना होगा जो आसानी से मिल जाता है और यह सभी तरह के पौधे मे काटने से पहले लेना होता है।चन्दन के पौधे मे सांप लिपटे रहते है – ऐसा कुछ नही है जो कहावत है उसका मतलब यह होता है की चन्दन की पेड़ से सांप लिपटने के बावजूद भी पेड़ मे विश नही जाता है यानी चन्दन अपना गुण नही छोड़ता है। इसलिये जो इच्छुक किसान है वह चन्दन की खेती करे तथा अधिक से अधिक मुनाफा कमाये।
चंदन कि खेती के लिए लाइसेंस कहा मिलेगा –
किसानो मे एक भ्रान्तियाँ रह्ती है की इसकी खेती करने के लिए सरकार से लाइसेंस लेने कि जरुरत पड़ती है लेकिन ऐसा कुछ नही है । चन्दन की खेती आप दूसरे पौधो कि तरह कर सकते है।इसके लिए किसी भी प्रकार के लाइसेंस की जरुरत नही है। केवल पेड़ की कटाई के समय राज्य वन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट लेना होगा जो आसानी से मिल जाता है ।
चंदन कि खेती : करोड़ो का मुनाफा
अगर आपके पास एक एकड़ जमीन और आप खेती मे आजमाना चाहतें है तो आप चन्दन की खेती कर सकते है इसमे आप एक लाख रूपय लगाकर 12 से 15 साल मे 60 लाख रूपये तक मुनाफा कमा सकते है। 10 – 15 हजार रूपय प्रती किलोग्राम लकड़ी और अन्तराष्ट्रीय बाजार मे इसकी कीमत 25 – 30 हजार रूपये प्रति किलोग्राम है। मात्र एक एकड़ खेत मे चार करोड़ 80 लाख रूपय तक की मोटी कमाई कराने वाली सफेद चन्दन कि खेती किसी भी किसान के लिये लौटरि से कम नही । इसकी खास तरह कि खुशबू और इसके औषधिय गुणों के कारण भी इसकी पूरी दुनिया मे भारी डिमांड है। इसकी एक किलो लकड़ी भारत मे 10000 रुपय और विदेशो मे 25000 रुपय तक बिक रही है। यह कीमत कभी कम नही होने वाली क्योकी इसके उत्पादको की संख्या लगातर गिर रही है लगातार गिर रही है ।आने वाले कुछ वर्षो मे सफेद चन्दन का भाव आसमान छू सकता है। चन्दन कि खेती मे सबसे मोटी कमाई है। मात्र अस्सी हजार से 1 लाख रूपय लगाकर 60 लाख रूपय सालाना तक का मुनाफा हौ रहा है।